भारत का वीर योद्धा छत्रपति शिवाजी – Inspirational History of Shivaji Maharaj in Hindi


chhatrapati Shivaji maharaj

भारत की पावन धरती ने कई वीर पुत्रों को जन्म दिया। इनमें से एक थे शिवाजी जिनका जन्म मराठा परिवार में हुआ था। इतिहासकार ऐसा मानते हैं कि महाराष्ट्र के इतिहास में वे आज तक के सबसे बड़े योद्धा हैं। शिवाजी महाराज भारत के स्वतंत्रता लड़ाई के बीज बोने वाले शूरवीर दिग्गजों में से भी एक माने जाते हैं।

chhatrapati Shivaji maharaj

स्वामी विवेकानंद कहते हैं –

’’शिवाजी सर्वश्रेष्ठ भारतीय मुक्तिदाताओं में से एक हैं जिन्होंने हमारे हिंदु धर्म एवं देश को सम्पूर्ण रूप से डूबने से बचाया है। वे एक अतुल्नीय योद्धा थे। …‘‘

Life of Chhatrapati Shivaji Maharaj 

नाम शिवाजी शाहाजी भोंसले – Shivaji Shahaji Bhosale
जन्म अप्रैल 19 फरवरी 1630

शिवनेरी किला (वर्तमान में महाराष्ट्र में)

 

पिता शहाजी भोसले
माता जीजाबाई
राज्यअभिषेक 6 जून 1674

 

शासनकाल सन् 1674-1680

 

मृत्यु 3 अप्रैल 1680

रायगढ किला, रायगढ, मराठा साम्राज्य (वर्तमान में महाराष्ट्र में)

Childhood of Shivaji Maharaj – शिवाजी का बचपन 

शिवाजी का जन्म पुणे के जूनार में शिवनेरी के पहाड़ी किले में 19 फरवरी 1630 को हुआ था। उनकी माताजी ने उनका नाम शिवाजी,  देवी शिवाई के नाम पर रखा था जिनसे उन्होंने एक स्वस्थ शिशु के लिए प्रार्थना की थी। शिवाजी के पिता दक्षिण सल्तनत में बीजापुर सुल्तान के मराठा सेनाध्यक्ष थे।

शिवाजी अपनी माता के प्रति बहुत समर्पित थे। माता जीजाबाई अत्याधिक और धार्मिक थी। इस धार्मिक माहौल का शिवाजी पर बहुत गहरा असर पड़ा। उन्होंने रामायण और महाभारत का गहरा अध्ययन किया।

जब शाहजी ने शिवाजी और उनकी माता को पूणे में रखा तब उनकी देखरेख की जि़म्मेदारी अपने प्रबंधक दादोजी कोंडदेव को दी। दादोजी ने शिवाजी को घुड़सवारी, तीरंदाज़ी एवं निशानेबाज़ी,  आदि की शिक्षा दी। 12 वर्ष की उम्र में शिवाजी को उनके भाईयों के साथ बेंगलोर भेजा गया जहाँ इन्होंने प्रशिक्षण लिया।

 

प्राथमिक विजय – Shivaji’s first Battle

1645 में सिर्फ 15 वर्ष की उम्र में शिवाजी ने टोरना किले के बिजापुरी सेनापति,  इनायत खान को रिश्वत देकर किले का कब्ज़ा पा लिया। पिता के मृत्यु के पश्चात शिवाजी ने दोबारा छापा मार कर 1656 में नज़दीकी मराठा प्रमुख से जव्वली का राज्य हासिल किया।

1659 में आदिलशाह ने अफ्ज़ल खान, उनके अनुभवी एवं पुराने सेनापति को शिवाजी को खत्म करने के इरादे से भेजा। इन दोनों के बीच प्रतापगढ़ के किले पर 10 नवंबर 1659 को युद्ध हुआ। ऐसा नियम तय हुआ था कि दोनों केवल एक तलवार व एक अनुयायी के साथ आयें।

विश्वाशघात के संदेह से शिवाजी ने दूसरे हथियार छुपा लिए थे तथा अफ्ज़ल खान को घायल करने के पश्चात अपने छुपे हुए सैनिकों को बिजापुर पर आक्रमण का निर्देश दिया।

28 दिसम्बर 1659 को इसी बहादुरी के साथ उन्होंने बीजापुर के सेनापति रूस्तमजमन के हमले का जवाब कोल्हापुर में दिया।

Shivaji and Mughals – मुगल साम्राज्य

मुगल साम्राज्य के साथ शिवाजी ने 1657 तक शांतिपूर्ण रिश्ते रखे। उन्होंने औरंगज़ेब को बीजापुर हासिल करने के लिए मदद की थी जिसके बदले में बीजापुरी किले एवं गांवों का हक उन्हें दिया जाएगा। मुगलों से शिवाजी की टकरार मार्च 1657 में शुरू हुई जब उनके दो अफसरों ने एहमदनगर पर छापा मारा।

1666 में औरंगज़ेब ने शिवाजी को उनके 9 वर्षीय पुत्र सम्भाजी के साथ आगरा में आमंत्रित किया। इरादा था शिवाजी को कंदहार भेजने का जहाँ उन्हें मुगल साम्राज्य को जमाना था। परंतु 12 मई 1666 को औरंगज़ेब ने शिवाजी को अपने दरबार में सेनापतियों के पीछे खड़ा कराया। शिवाजी नाराज़ होकर चले गये पर उन्हें गिरफ्तार कर आगरा के कोतवाल के तहत नज़रबंद कर दिया गया। सम्भाजी की गम्भीर बिमारी का बहाना करते हुए शिवाजी वेश बदलकर 17 अगस्त 1666 को फरार हो गये। दक्षिण पहुँच कर शिवाजी ने खुद को मुगलों से बचाने के लिए सम्भाजी के मौत कर झूठी खबर फैला दी। 1670 के अंत तक मुगलों के विरूद्ध युद्ध लड़कर उनके काफी क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया।

 

राज्यअभिषेक – Rajyabhishek of Shivaji Maharaj

शिवाजी का राज्यअभिषेक एक भव्य समारोह में रायगढ़ में 6 जून 1674 को किया गया। शिवाजी अधिकारिक तौर पर छत्रपति कहलाये गये।

संस्कृत को बढ़ावा – Promotion of Sanskrit Language

शिवाजी के परिवार में संस्कृत का ज्ञान अच्छा था और इस भाषा को बढ़ावा दिया गया। शिवाजी ने इसी परंपरा को बागे बढ़ाते हुए अपने किलों के नाम संस्कृत में रखें जैसे सिंधुदुर्ग, प्रचंडगढ़, तथा सुवर्णदुर्ग। उन्होंने राजनैतिक पुस्तक राज्यव्यवहार कोष को अधिकृत किया। उनके राजपुरोहित केशव पंडित स्वंय एक संस्कृत के कवि तथा शास्त्री थे। उन्होंने दरबार के कई पुराने कायदों को पुनर्जीवित किया एवं शासकिय कार्यों में मराठी तथा संस्कृत भाषा का प्रयोग को बढ़ावा दिया।

धर्म – Religion

शिवाजी धर्मनिष्ठ हिन्दु थे परंतु वे सभी धर्मों का सम्मान करते थे। वे संतों की बहुत श्रद्धा करते थे विशेष रूप से समर्थ रामदास का जिन्हें उन्होंने पराली का किला दिया जिसका नाम बाद में सज्जनगढ़ रखा गया। रामदास लिखित शिवस्तुति (महाराज शिवाजी की प्रशंसा) बहुत प्रख्यात है। शिवाजी जबरदस्ती धर्म परिवर्तन का विरोध करते थे। वे स्त्रीयों के प्रति मानवता रखते थे। उनके समकालीन कवि, कवि भूषण कहते हैं कि अगर शिवाजी नहीं होते तो काशी अपनी संस्कृति खो चुका होता, मथुरा मस्जिदों में बदल गया होता एवं सब कुछ सूना हो गया होता। शिवाजी की सेना में कई मुसलमान सैनिक भी थे। सिद्दी इब्राहिम उनके तोपों के प्रमुख थे।

 

सेना – Army of Shivaji Maharaj

शिवाजी ने काफी कुशलता से अपने सेना को खड़ा किया था। उनके पास एक विशाल नौसेना (Navy) भी थी जिसके प्रमुख मयंक भंडारी थे।

navy of shivaji maharaj
Source: indiaopines

शिवाजी ने अनुशासित सेना तथा सुस्थापित प्रशासनिक संगठनों की मदद से एक निपुण तथा प्रगतिशील सभ्य शासन स्थापित किया। उन्होंने सैन्य रणनीती में नवीन तरीके अपनाये जिसमें दुश्मनों पर अचानक आक्रमण करना जैसे तरीके शामिल था।

 

राजस्व योजना – Administration of Shivaji

शिवाजी ने तोडर मल तथा मलिक अम्बार के सिद्धांतों पर आधारित एक बेहतरीन राजस्व योजना पेश की। पूर्ण सर्वेक्षण के पश्चात जमीन का किराया कुल पैदावार का 33 प्रतिशत तय किया। शिवाजी ने अपने राज्य की मुद्रा जारी की जो कि संस्कृत भाषा में थी|

मृत्यु – Death of Shivani

मार्च 1680 के अंत में शिवाजी को ज्वर एवं आंव हो गयी। 3-5 अप्रैल के करीब उनकी 52 वर्ष की उम्र में मृम्यु हुई। उनकी मौत के पश्चात मुगलों ने दोबारा मराठा पर आक्रमण किया पर इस बार युद्ध कई वर्षों तक चला जिसमें मुगलों की हार हुई।


अभिषेक राजस्थान से हैं और वे हैप्पीहिंदी.कॉम पर बिज़नेस, इन्वेस्टमेंट और पर्सनल फाइनेंस के विषयों पर पिछले 4 वर्षों से लिख रहे हैं| उनसे [email protected] पर संपर्क किया जा सकता हैं|

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