बन्दर चाल – The Monkeys Experiment – Story


Monkey Story

Inspirational Story

एक बार कुछ बंदरों को एक बड़े से पिंजरे में डाला गया और वहां पर एक सीढी लगाई गई| सीढी के ऊपरी भाग पर कुछ केले लटका दिए गए|

उन केलों को खाने के लिए एक बन्दर सीढी के पास पहुंचा|

जैसे ही वह बन्दर सीढी पर चढ़ने लगा, उस पर बहुत सारा ठंडा पानी गिरा दिया गया और उसके साथ-साथ बाकी बंदरों पर भी पानी गिरा दिया गया|

पानी डालने पर वह बन्दर भाग कर एक कोने में चला गया|

थोड़ी देर बाद एक दूसरा बन्दर सीढी के पास पहुंचा|

वह जैसे ही सीढी के ऊपर चढ़ने लगा, फिर से बन्दर पर ठंडा पानी गिरा दिया गया और इसकी सजा बाकि बंदरों को भी मिली और साथ-साथ दूसरे बंदरो पर भी ठंडा पानी गिरा दिया गया|

ठन्डे पानी के कारण सारे बन्दर भाग कर एक कोने में चले गए|

यह प्रक्रिया चलती रही और जैसे ही कोई बन्दर सीढी पर केले खाने के लिए चढ़ता, उस पर और साथ-साथ बाकि बंदरों को इसकी सजा मिलती और उन पर ठंडा पानी डाल दिया जाता|

बहुत बार ठन्डे पानी की सजा मिलने पर बन्दर समझ गए कि अगर कोई भी उस सीढी पर चढ़ने की कोशिश करेगा तो इसकी सजा सभी को मिलेगी और उन सभी पर ठंडा पानी डाल दिया जाएगा|

अब जैसे ही कोई बन्दर सीढी के पास जाने की कोशिश करता तो बाकी सारे बन्दर उसकी पिटाई कर देते और उसे सीढी के पास जाने से रोक देते|

थोड़ी देर बाद उस बड़े से पिंजरे में से एक बन्दर को निकाल दिया गया और उसकी जगह एक नए बन्दर को डाला गया|

नए बन्दर की नजर केलों पर पड़ी| नया बन्दर वहां की परिस्थिति के बारे में नहीं जानता था इसलिए वह केले खाने के लिए सीढी की तरफ भागा| जैसे ही वह बन्दर उस सीढी की तरफ भागा, बाकि सारे बंदरों ने उसकी पिटाई कर दी|

नया बन्दर यह समझ नहीं पा रहा था कि उसकी पिटाई क्यों हुई | लेकिन जोरदार पिटाई से डरकर उसने केले खाने का विचार छोड़ दिया|

अब फिर एक पुराने बन्दर को उस पिंजरे से निकाला गया और उसकी जगह एक नए बन्दर को पिंजरे में डाला गया| नया बन्दर बेचारा वहां की परिस्थिति को नहीं जनता था इसलिए वह केले खाने के लिए सीढी की तरफ जाने लगा और यह देखकर बाकी सारे बंदरों ने उसकी पिटाई कर दी| पिटाई करने वालों में पिछली बार आया नया बन्दर भी शामिल था जबकि उसे यह भी नहीं पता था कि यह पिटाई क्यों हो रही है|

यह प्रक्रिया चलती रही और एक-एक करके पुराने बंदरों की जगह नए बंदरों को पिंजरे में डाला जाने लगा| जैसे ही कोई नया बन्दर पिंजरे में आता और केले खाने के लिए सीढी के पास जाने लगता तो बाकी सारे बन्दर उसकी पिटाई कर देते|

अब पिंजरे में सारे नए बन्दर थे जिनके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था| उनमें से किसी को यह नहीं पता था कि केले खाने के लिए सीढी के पास जाने वाले की पिटाई क्यों होती है लेकिन उन सबकी एक-एक बार पिटाई हो चुकी थी|

अब एक और बन्दर को पिंजरे में डाला गया और आश्चर्य कि फिर से वही हुआ| सारे बंदरों ने उस नए बन्दर को सीढी के पास जाने से रोक दिया और उसकी पिटाई कर दी जबकि पिटाई करने वालों में से किसी को भी यह नहीं पता था कि वह पिटाई क्यों कर रहे है|

 

हमारे जीवन भी ऐसा ही कुछ होता है|

अन्धविश्वास और कुप्रथाओं का चलन भी कुछ इसी तरह होता है क्योंकि उन हम लोग प्रथाओं और रीति-रिवाजों के पीछे का कारण जाने बिना ही उनका पालन करते रहते है और नए कदम उठाने की हिम्मत कोई नहीं करता क्योंकि ऐसा करने पर समाज के विरोध करने का डर बना रहता है|

कोई भी कुछ नया करने की सोचता है तो उसे कहीं न कहीं लोगों के विरोध का सामना करना ही पड़ता है|

भारत की जनसँख्या 121 करोड़ से ऊपर है लेकिन भारत खेलों में बहुत पीछे है क्योंकि ज्यादातर अभिवावक अपने बच्चों को खेल के क्षेत्र में जाने से रोकते है क्योंकि बाकी सारा समाज भी ऐसा ही कर रहा है| उन्हें असफलता का डर लगा रहता है|

ये बड़ी अजीब बात है कि कुछ समय पहले उतरप्रदेश में चपरासी के सिर्फ 368 पदों के लिए 23 लाख आवेदन आए थे और उसमें से भी 1.5 लाख ग्रेजुएट्स, 25000 पोस्ट ग्रेजुएट्स थे और 250 आवेदक ऐसे थे जिन्होंने पीएचडी की हुई थी|

दूसरी तरफ भारत को आज भी विदेशों से लाखों करोड़ का सामान इम्पोर्ट करना पड़ता है और खेल जैसे क्षेत्र में भारत बहुत पीछे है|

संभावनाएं बहुत है लेकिन हम उन्हें देख नहीं पाते क्योंकि हम भीड़चाल में चलते है|

ये हमारी मानसिकता ही है जो हमें पीछे धकेल रही है| हम चाहें तो बन्दर की तरह लोगों की देखा देखी कर सकते या फिर खुद की स्वतन्त्र सोच के बल पर सफलता की सीढी चढ़ सकते है|

 


अभिषेक राजस्थान से हैं और वे हैप्पीहिंदी.कॉम पर बिज़नेस, इन्वेस्टमेंट और पर्सनल फाइनेंस के विषयों पर पिछले 4 वर्षों से लिख रहे हैं| उनसे [email protected] पर संपर्क किया जा सकता हैं|

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