कपाल जिसे अंग्रेजी में हम forehead कहते हैं और भाति का अर्थ होता है ”प्रकाश”। कपालभाति प्राणायाम (Kapalbhati Pranayama) करने से व्यक्ति के चहेरे पर चमक आती है। और इस प्राणायाम से कई प्रकार के जटिल रोग दूर होते हैं और स्वस्थ व्यक्ति इस अभ्यास को प्रति दिन करता रहे तो वह जीवनभर निरोगी रहता है।
कपालभाति, प्राणायाम-योग का एक विशिष्ठ अंग है। ध्यान और मानसिक शक्ति (Mental Power) के विकास के लिए कपालभाति को अति महत्वपूर्ण बताया गया है। प्राचीन समय के कुछ ज्ञानी महात्मा और योगी द्वारा कपालभाति को षटकर्म का एक भाग भी कहा गया है। कपालभाति से कुण्डलिनी शक्ति भी जागृत होती है। मन को शांत और प्रफुल्लित रखने के लिए, कपालभाति प्राणायाम प्रतिदिन करना चाहिए। कपालभाति प्राणायाम शरीर की नाड़ियों को शुद्ध करके उन्हे सम्पूर्ण स्वस्थ बनाकर रोगों को दूर करता है।
कपालभाति एक सरल प्राणायाम है। इस प्राणायाम में सांस तेजी से बाहर छोड़नी होती है। ऐसा करने से पेट की वायु नाक के माध्यम से तेजी से बाहर निकलती है।
How To Do Kapalbhati Pranayama Yoga –Steps : कपालभाति प्राणायाम कैसे करें
- कपालभाति प्राणायाम दिन में सुबह के समय, सूर्योदय के पहले करने पर अधिक लाभ होता है। इस प्राणायाम अभ्यास को नया नया शुरू करने वाले व्यक्ति को दो से तीन मिनट में थकान महसूस हो सकती है| परंतु एक या दो हफ्तों के अभ्यास के बाद कोई भी सामान्य व्यक्ति लगातार पांच मिनट से अधिक समय तक कपालभाति प्राणायाम करनें के लिए सक्षम हो जाता है।
- कपालभाति प्राणायाम हमेशा शुद्ध वातावरण में ही करना चाहिए। पद्मासन में बैठ कर इस आसान को करने पर अधिक लाभ होता है।
- कपालभाति प्राणायाम करने के लिए किसी अच्छी शांत और स्वच्छ जगह का चयन करके, वहाँ पर आसन बिछा कर पद्मासन में बैठ जाए।
- अब आगे कपालभाति प्राणायाम की शुरुआत करने के लिए श्वास सामान्य गति से शरीर के अंदर की और लेनी होती है। और तेज़ गति से बाहर निकालनी होती है। यह पूरी प्रक्रिया एक रिद्म में होनी चाहिए।
- प्रत्येक सेकंड में एक बार पूरी सांस को तेजी के साथ नाक से बाहर छोड़ें, इससे पेट अन्दर चला जाएगा। कपालभाती में प्रत्येक सेकंड में एक बार सांस को तेजी से बाहर छोड़ने के लिए ही प्रयास करना होता है| साँस को छोड़ने के बाद, सांस को बाहर न रोककर बिना प्रयास किये सामान्य रूप से सांस को अन्दर आने दें| प्रत्येक सेकंड में साँस को तेजी से बाहर छोड़ते रहे| इस हिसाब से एक मिनट में सांठ बार और कुल पाँच मिनट में तीनसौ बार आप वायु (सांस) बाहर फैंकनें की क्रिया करें। (थकान महसूस होने पर बीच बीच में रुक कर विश्राम अवश्य लेते रहें)।
- शुरुआत में अगर एक मिनट में साठ बार सांस बाहर फैंकने में थकान हों, तो एक मिनट में तीस से चालीस बार सांस बाहर निकालें और अभ्यास बढ्ने के साथ साथ गति को प्रति मिनट साठ सांस तक ले जायें।
- कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास लंबे समय तक सही तरीके से करने पर इसकी अवधि पांच मिनट से पंद्रह मिनट तक बढ़ाई जा सकती है। यानी की पांच-पांच मिनट के तीन चरण।
- AIDS, कैंसर, एलर्जी, टीबी, हेपीटाइटस और दूसरी ऐसी जटिल बीमारी के रोगी को कपालभाति प्राणायाम दिन में तीस मिनट तक करना चाहिए। और अगर ऐसा रोगी दिन में सुबह और शाम दोनों समय कपालभाति प्राणायाम तीस तीस मिनट कर सके तो और भी बहेतर होगा।
- स्वस्थ व्यक्ति कपालभाति प्राणायाम को प्रति दिन एक ही बार करे तो भी उसे बहुत अच्छे शारीरिक और मानसिक लाभ होता है।
Benefits Of Kapalbhati Pranayama – कपालभाति प्राणायाम के फायदे व लाभ
- कपालभाति का मुख्य गुण यह है कि इसको करने से शारीरिक लाभ के साथ साथ आध्यात्मिक लाभ मिलता है। साथ साथ यह ध्यान शक्ति भी बढ़ा देता है। और कपालभाति करने वाले व्यक्ति को आम बीमारियाँ छू नहीं पाती हैं।
- मानसिक तनाव (Depression) और दमे की बीमारी कपालभाति करने से दूर हो जाती हैं। चंचल मन वाले व्यक्ति हमेशा हड़बड़ी में फैसले ले कर अपना नुकसान कर बैठतें हैं, कपालभाति प्राणायाम इन प्रकार के लोगों को चित्त शांत करने में मददगार साबित होता है।
- कपालभाति करने से मन में सकारात्मक विचार आते हैं और निर्णयशक्ति बढ़ती है। नित्य कपालभाति प्राणायाम करने से व्यक्ति के मुख पर एक अनोखा तेज आ जाता है। और यह प्राणायाम चहेरे की सुंदरता(Fairness) भी बढ़ाता है।
- कफ की बीमारी कपालभाति करने से दूर हो जाती है। कपालभाति प्राणायाम फेफड़ों की बीमारी को दूर कर देता है तथा यह व्यायाम स्वस्थ फेफड़ों को मजबूत बनाता है।
- कपालभाति प्राणायाम शरीर से अधिक चर्बी (Fat) को दूर करने और वजन कम (Weight Loss) करने में सहायक होता है। तथा कपालभाति करने से कृमि रोग, अजीर्ण(Acidity) और पुरानी बलगम दूर हो जाती है।
- कपालभाति प्राणायाम मानव शरीर की पाचन शक्ति बढ़ाता है। और यह प्राणायाम आंतों की कमजोरी दूर करने के लिए भी लाभदायी है। कपालभाति प्राणायाम करने से पेट के सभी प्रकार के रोगों में राहत मिल जाती है।
- कपालभाति से गठिया रोग भी दूर हो जाता है। सर्दी के वातावरण में कपालभाति करने से शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है इस से जुकाम दूर हो जाता है। श्वास और दमे की तकलीफ में भी कपालभाति प्राणायाम लाभदायी होता है।
- गैस, कब्ज़ और खून के विकार की समस्या दूर करने के लिए भी कपालभाति प्राणायाम किया जा सकता है। अम्लपित्त, डाइबिटिस और किडनी से जुड़े रोगों के उपचार में भी कपालभाति उपयोगी प्राणायाम है।
- समय से पहले बालों का पकना, या बालों का अधिक जड़ जाना(Hair Fall), ज़रूरत से अधिक निंद्रा आना यां बिल्कुल नींद ना आना, अथवा अल्प नींद आना… इन सभी समस्याओं को कपालभाति योग के द्वारा जड़ से उखाड़ा जा सकता है।
- कानों से कम सुनाये देना, मिर्गी, नाक के अंदर फोड़े होना आदि तकलीफ़ें भी कपालभाति प्राणायाम से दूर हो जाती है। आँखों के विकार दूर करने में भी कपालभाति उपयोगी है|
Precautions/Side-Effects (When Not To Do Kapalbhati) – सावधानियां
- कमर दर्द के रोगी को कपालभाति करने से पहले चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
- हृदय रोगी व्यक्ति को कपालभाति करने पर हानि हो सकती है। पीलिया के रोगी को भी कपालभाति करने पर गंभीर समस्या हो सकती है।
- पित्त वायु के रोगी को कपालभाति करने पर परेशानी बढ़ सकती है। गर्मी के दिनों में कपालभाति दो से तीन मिनट करना ही अच्छा होता है।
- तनावग्रस्त व्यक्ति कपालभाति ना करें। मन को शांत करने के बाद ही इस प्राणायाम को करें।
- पेट साफ किए बिना कपालभाति प्राणायाम नहीं करना चाहिए। भोजन के तुरंत बाद भी कपालभाति प्राणायाम नुकसान देह हो सकता है।
- उच्च रक्तचाप की बीमारी वाले इन्सान को यह अभ्यास अधिक गति से नहीं करना चाहिए।