इसरो की कामयाबियां जिन पर हर भारतीय को गर्व होता है – ISRO’s Achievements That Have Made India Proud


Reusable Launch Vehicle Technology Demonstration ISRO

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) आज भारत को हमेशा से ही गौरवान्वित करता रहा हैं और 12 जनवरी को इसरो ने अपना 100 वां उपग्रह लांच करके फिर एक बार विश्व को भारत की ताकत का प्रदर्शन दिखा दिया| इसरो ने अपने इस 42 वें मिशन में पीएसएलवी-सी 40 की मदद से विभिन्न देशों के 30 अन्य उपग्रह भी अंतरिक्ष में भेजे हैं|

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation) का गठन 15 अगस्त 1969 को डॉ विक्रम साराभाई के नेतृत्व में किया गया था| तब से लेकर आज तक इसरो ने हर बार भारत को गौरवान्वित किया हैं| 

क्या हम कल्पना भी कर सकते हैं कि 1963 में भारत के पहले राकेट के पुर्जों को एक साईकिल पर लाया गया था और आज भारत का अंतरिक्ष संस्थान, “इसरो” विश्व के सबसे सफल अंतरिक्ष संगठनों में से एक हैं|

ISRO's First Rocket On Cycle

इससे पता चलता है कि भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने कितनी मेहनत से भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी बनाया है |

हम वास्तव में भाग्यशाली हैं कि हमारा अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो हमे अंतरिक्ष में झांकने का मौका देता है जिससे हम वहां हो रही गतिविधियों की जानकारी व रहस्मयी घटनाओं की खोज की सही जानकारी प्राप्त कर सकते है।  आइये जानते है “इसरो” की वो उपलब्धियां जिस पर हर भारतीय को गर्व हैं|

ISRO’s Achievements 

भारत का प्रथम स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान – First Indigenous Satellite Launch Vehicle (SLV-3)

इस प्रक्षेपण यान का शुभारम्भ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा 18 जुलाई 1980 में किया गया था और राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम एसएलवी -3 के परियोजना निदेशक थे। भारत से पहले दुनिया में केवल पांच अंतरिक्ष संस्थाएं ऐसा करने में सक्षम हुई थी। एसएलवी -3 का प्रक्षेपण भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर था। SLV-3 के सफल प्रक्षेपण के कारण “इसरो” के लिए अधिक तकनीकी-क्षमता वाले प्रक्षेपण यान (Launch Vehicle) बनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ|

Chandrayaan – चंद्रयान – I:

चन्द्रमा के लिए भारत का पहला मिशन चंद्रयान-I,  22 अक्टूबर, 2008 को शुरू किया गया| चंद्रयान-I को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से PSLV-C11 के द्वारा सफलतापूर्वक सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया| अंतरिक्ष यान को चन्द्रमा की रसायन, खनिज और फोटो भूगर्भिक मैपिंग के लिए चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा कराई गई थी। अंतरिक्ष यान भारत, अमरीका, ब्रिटेन, जर्मनी, स्वीडन और बुल्गारिया में निर्मित 11 वैज्ञानिक उपकरणों ले गया था।

मंगलयान – Mars Orbiter Mission (MOM)

Image Souce - Wikipedia
Image Souce – Wikipedia

“मार्स ऑर्बिटर मिशन – मंगलयान” की शुरुआत भारत के अंतरिक्ष इतिहास में सबसे गौरवपूर्ण पलों में से एक था| इसरो ने पहले प्रयास में मंगलयान का सफलतापूर्ण प्रक्षेपण कर इतिहास रच दिया| पहले ही प्रयास में मंगल तक पहुँचने वाला भारत पहला देश है| और तो और Mars Orbiter Mission की लागत केवल 450 करोड़ रूपये है, जो अब तक विश्व में सबसे कम लागत वाला मार्स मिशन हैं|

5 नवम्बर 2013 लांच हुआ मंगलयान 6660 लाख किलोमीटर की यात्रा करके 24 सितम्बर 2014 को सफलतापूर्वक मंगल गृह में प्रवेश कर गया| मंगलयान का उद्देश्य मंगल ग्रह की सतह, आकृति विज्ञान, खनिज और वातावरण का निरीक्षण निरिक्षण करना है। इसके अलावा इसका उद्देश्य मंगल ग्रह के वातावरण में मीथेन की एक विशिष्ट खोज से अतीत में उस गृह पर जीवन होने के बारे में जानकारी प्रदान करना है।

NAVIC – Indian Satellite Navigation System

भारत ने अपना खुद का जीपीएस सिस्टम स्थापित करने के लिए अप्रैल, 2016 में सफलतापूर्वक अपने GPS Satellite NAVIK (Navigation with Indian Constellation) को लांच किया है| यह भारत के आलावा आस-पास की 1500 स्कवायर किलोमीटर की रेंज में भी काम करता है| इसकी मदद से मौसम, विमानन और विभिन्न क्षेत्रों में अधिक सटीकता से जानकारी मिल पाएगी| अपना खुद का नेविगेशन सिस्टम स्थापित करने वाला भारत विश्व का पांचवा देश है| 

Reusable Launch Vehicle – पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान (RLV-TD)

Reusable Launch Vehicle Technology Demonstration ISRO

Reusable Launch Vehicle इसरो के लिए एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण प्रोजेक्ट हैं क्योंकि इसमें एक ऐसा उपग्रह प्रक्षेपण यान बनाना है, जो दुबारा उपयोग में लाया जा सके| अंतरिक्ष में जाकर वापस पृथ्वी की सतह पर आ सकने वाला प्रक्षेपण यान बनाने के लिए इसरो ने एयरक्राफ्ट और प्रक्षेपण यान दोनों तरह की तकनीकों मिश्रित करके Reusable Launch Vehicle – Technology Demonstration (RLV-TD) का डिजाईन तैयार किया है|इसरो ने RLV-TD का पहला सफल परिक्षण मई, 2016 में कर लिया है और कुछ ही वर्षों में इसरो, Reusable Launch Vehicle बना लेगा जिससे अंतरिक्ष तक पहुँचने की लागत में कमी आएगी|

Launching 20 satellites, 2016 

जून 2016 में इसरो ने एक ही राकेट से 20 सैटेलाइट्स लांच करके एक नया कीर्तिमान रच दिया | इस मिशन में PSLV प्रक्षेपण यान द्वारा कुल 1288 किलोग्राम वजन के 20 विभिन्न सैटेलाइट्स को लांच किया गया |

GSLV Mk-III X/CARE 

दिसंबर, 2014 में इसरो ने अपने सबसे भारी रॉकेट में से एक जीएसएलवी एमके III का परिक्षण किया| इसका वजन 630 टन है और यह 4 टन वजन ले जाने में सक्षम। यह अपने साथ भारत में बने मानव रहित चालक दल के कैप्सूल को भी ले गया जो तीन अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। भारी उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण परिक्षण था|

Polar Satellite Launch Vehicle (PSLV-C37)

इसरो ने 15 फ़रवरी 2017 को PSLV-C37 द्वारा एक साथ 104 सैटेलाइट्स पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करके एक सबसे अधिक सैटेलाइट्स लांच करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया| इसरो ने फिर एक बार विश्व को भारत की ताकत का प्रदर्शन दिखा दिया

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अभिषेक राजस्थान से हैं और वे हैप्पीहिंदी.कॉम पर बिज़नेस, इन्वेस्टमेंट और पर्सनल फाइनेंस के विषयों पर पिछले 4 वर्षों से लिख रहे हैं| उनसे [email protected] पर संपर्क किया जा सकता हैं|

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